
राजकुमार / हरिद्वार। भारतीय प्रांचीय विद्यापीठ सोसायटी के निदेशक ज्योतिषाचार्य डॉ. प्रतीक मिश्रपुरी से वार्ता के अनुसार
चैत्र नवरात्र में महाष्टमी और महानवमी का बडा महत्व है अष्टमी तिथि को महागौरी की पूजा का विधान है तो महानवमी पर माँ सिद्दीदात्री की पूजा होती है। इस दिन छोटी-छोटी कन्याओं का पूजन करने की परम्परा है।
इस बार नवरात्रों में हिंन्दू पंचांग के अनुसार अष्टमी तिथि 4 अप्रैल शुक्रवार की रात 8.12 मिनट से शुरू होकर शनिवार सुबह 7.26 मिनट पर समाप्त होगी। उदयातिथि पुरे दिन मान्य रहेगी। इसलिए उदय तिथि के अनुसार महाष्टमी का कन्या पूजन का अभिजीत मुहूर्त 5 अप्रैल शनिवार सुबह 11.59 से दोपहर 12.25 तक होगा।
महानवमी का कन्या पूजन…
मिश्रपुरी ने बताया इस बार रविवार 6 अप्रैल को नवरात्र की महानवमी है, महानवमी पर कन्या पूजन का मुहूर्त 6 अप्रैल सुबह 11.59 से दोपहर 12.50 तक रहेगा।
कन्या पूजन की विधि…
डॉ. प्रतीक ने बताया कन्या पूजन के बिना नवरात्र अधूरें हैं अष्टमी और नवमी पर कन्या पूजन से एक दिन पहले ही कन्याओं को घर आने का निमंत्रण दें आएं। घर आगमन पर उनके पैर धुलाएं और साफ आसन पर बैठाकर चंदन का टिका लगाएं और विनम्रता पूर्वक उन्हें भोजन कराएं। खाने में खीर, पूरी, चने की व्यवस्था करें। भोजन के पश्चात उनके हाथ धुलाएं उसके बाद दान-दक्षिणा और उपहार देकर उनके पैर छूकर प्रणाम करें। माँ के जयकारों के साथ उन्हें सम्मान पूर्वक विदा करें।