
शिवराज यादव / हरिद्वार। कनखल स्थित निर्मल संतपुरा आश्रम गुरुद्वारे में बैसाखी पर्व खालसा सृजना दिवस और बैसाख महीने की संक्रांत धूमधाम से मनाई गई। देर शाम सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु गुरुद्वारे पहुंचे और श्री गुरु ग्रन्थ साहिब के आगे माथा टेका। इस दौरान कथावाचक संत बलजिंदर सिंह शास्त्री ने सृजना दिवस की कथा सुनाकर और महिलाओं, बच्चों ने शबद कीर्तन सुनाकर संगत को निहाल किया। संत बलजिंदर सिंह शास्त्री ने कहा कि गुरु गोबिंद सिंह ने वर्ष 1699 में बैसाखी के दिन खालसा पंथ की स्थापना कर सिंह तैयार किए। जो धर्म की रक्षा के लिए लड़े।

संत जगजीत सिंह शास्त्री ने शुभकामनाएं देते हुए कहा कि प्रभु का नाम सिमरन से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। प्रभु के बिना कोई नहीं है जो तुम्हारी रक्षा कर सके। जो निर्मल है वही खालसा (शुद्ध) है और जो शुद्ध है वही निर्मल है। जो मनुष्य परमात्मा से लगाव लगाता है वह निर्मल हो जाता है। अपने बच्चों को भी नाम वाणी से जोड़े। उन्हें अपने गुरु, महापुरुषों की कहानी, कथा सुनाए। पं. विष्णु दत्त राकेश ने कहा कि इस देश में रहने वाला गुरु गोबिंद सिंह के ऋण को नहीं चुका सकता जिसने धर्म के लिए अपना परिवार बलिदान कर दिया। उन्होंने खालसा पंथ की स्थापना कर शौर्य और उत्साह का संचार किया। उन्होंने शस्त्र के साथ शास्त्र की शिक्षा दी। प्रभु सिमरन से नई ऊर्जा और ताकत मिलती है। इस अवसर पर संत मंजीत सिंह, संत तरलोचन सिंह, अपनिंदर कौर, हरविंदर सिंह, सरबजीत कौर, महिंद्र सिंह, नैनी महेंद्रू, जसविंदर सिंह, गगनदीप सिंह, जगजीत सिंह, जोरावर सिंह, फतेह सिंह, राजबीर सिंह, कुलदीप सिंह, रणजीत सिंह, अमनदीप सिंह, मोनिका, सुमन, महिपाल सिंह, इंदरजीत सिंह बिट्टू, रमनदीप सिंह आदि उपस्थित थे।